Tuesday, July 7, 2015

जलेबी


एक बार जब हम कैंची जा रहे थे तो रास्ते में भवाली में रुके. उस वक्त मेरी बेटी भी मेरे साथ थी. भवाली में उसने जलेबी खाने की मांग कर दी. लेकिन वहां जलेबी कहीं दिखी नहीं तो मैंने कहा कि ''कैंची पहुंचेगे तो मिल जाएगी."

लेकिन जब हम कैंची पहुंचे तो पता चला कि आज एकादशी है और उस दिन आश्रम में सिर्फ उबले आलू मिलते हैं.

लेकिन जब हम महाराज जी के कमरे में पहुंचे तभी आश्चर्यजनक रूप से एक व्यक्ति जलेबी भरी टोकरी लेकर आया. मेरी बेटी की तरफ इशारा करते हुए महाराजजी ने कहा कि "सबसे पहले उस लड़की को दो." वे सब जानते थे.

(रामदास, मिराकल आफ लव, दूसरा संस्करण, 1995 पेज- 39)
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जय जय नींब करौरी बाबा!
कृपा करहु आवई सद्भावा!!

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