Wednesday, July 22, 2015

देखो यह बच गया

बाबा हनुमानगढ़ की कुटिया में अपने तख्त पर बैठे हुए थे. सहसा वे खड़े हो गये और उन्होंने अपने दोनों हाथ इस तरह से हवा में लहरा दिये जैसे किसी को पकड़ लिया हो. उसी तरह वे कुटिया के बाहर आये और कहने लगे "देखो यह बच गया."

किसी को कुछ समझ नहीं आया. कुछ तो बाबा की इस भाव भंगिमा पर हंसने लगे. लेकिन पूरनचंद्र जोशी कहते हैं कि तीन दिन बाद आश्रम में कानपुर से एक महिला आईं और उन्होंने बहुत श्रद्धा और धन्यवाद भाव से महाराज जी को प्रणाम किया. महिला ने तीन दिन पहले उनके घर में घटी एक घटना के बारे में बताया.

उन्होंने कहा कि तीन दीन पहले अचानक मेरा पांच साल का बच्चा छत से गिर पड़ा. बाबा मैंने तत्काल आपको आवाज लगाई. इतने में नीचे से जा रहे एक व्यक्ति ने बच्चे को हाथ में लोक लिया और मां को वापस करते हुए बोला "देखो यह बच गया." बाबाजी यह सुनकर मुस्कुरा दिये और वहां उपस्थित भक्तों को तीन दिन पहले की वह घटना याद आ गयी.

(रवि प्रकाश पांडेय, 'राजीदा' द डिवाइन रियलिटी, दूसरा संस्करण, 2005, पेज- 116-17)

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🌺 जय जय नींब करौरी बाबा! 🌺
🌺 कृपा करहु आवई सद्भावा!! 🌺
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