महाराज जी एक भक्त के साथ ट्रेन के पहले दर्जे में यात्रा कर रहे थे. भक्त को लगा कि टीटीई के आने तक टिकट महाराजजी को दे देंगे तो सुरक्षित रहेगा.
महाराजजी ने भक्त की तरफ देखा और पूछा "यह किसलिए है?" महाराज जी ने यह कहते हुए दोनों टिकट चलती ट्रेन की खिड़की से बाहर फेंक दिया.
महाराजजी अपनी चर्चा में मगन हो गये लेकिन इधर भक्त टिकट को लेकर चिंतित था. अंतत: कम्पार्टमेन्ट के दरवाजे पर टीटीई आया और उसने टिकट के लिए पूछा. भक्त महाराज जी से टिकट के लिए कहने में थोड़ा सकुचाया लेकिन फिर कह दिया कि टीटीई टिकट के लिए पूछ रहा है.
महाराजजी ने खिड़की में हाथ डाला और दोनों टिकट टीटीई को दे दिये और हंसते हुए भक्त से बोले, "तुम इसी के लिए इतना परेशान थे?"
(रामदास, मिराकल आफ लव http://maharajji.com/Miracle-of-Love/train-tickets-out-the-window.html)
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🌺 जय जय नींब करौरी बाबा! 🌺
🌺 कृपा करहु आवई सद्भावा!! 🌺
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