Tuesday, October 13, 2015

रेल में रामायण पाठ

प्रयाग स्टेशन के पास अपने आवास पर रेलवे आफिसर हेमचंद्र जोशी ने अखण्ड रामायण का पाठ रखा था. बहुत सारे स्थानीय लोग उस अखंड रामायण पाठ में शामिल थे. उत्तरकांड की समाप्ति के बाद आरती और प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होना था तभी दादा (सुधीर दादा मुखर्जी) के भतीजे वहां आये और उन्होंने सूचित किया कि महाराजजी चर्चलेन में पधार चुके हैं.

महाराजजी श्री मां और कुछ अन्य भक्तों के साथ अभी अभी दक्षिण की यात्रा से लौटे थे. जब ट्रेन इलाहाबाद से दो सौ किलोमीटर दूर रही होगी तो महाराजजी ने कहा कि खिड़की खोल दो. जैसे ही खिड़की खुली सबको रामायण का सुन्दर और संगीतमय पाठ सुनाई दिया. कुछ सुरीली आवाजों में संगीतमय पाठ हो रहा था. भक्तों को लगा कि जरूर किसी स्थानीय गांव में रामायण का पाठ चल रहा है. कुछ देर तक उन्होंने उत्तरकांड का संगीतमय पाठ सुनाई देता रहा. आश्चर्यजनक रूप से ट्रेन कई किलोमीटर आगे चली आई लेकिन संगीतमय पाठ उसी तरह सुनाई देता रहा. लेकिन बाबा ने जैसे ही खिड़की बंद करवाई रामायण का पाठ सुनाई देना बंद हो गया. महाराजजी ने जब दोबारा खिड़की खुलवाई तो उत्तरकांड का पाठ फिर से सुनाई देने लगा.

महाराजजी की लीला का यह क्रम इलाहाबाद तक इसी तरह चलता रहा और सब रामायण पाठ को सुनने का आनंद लेते रहे. जब किसी भक्त ने उनसे पूछा कि महाराजजी यह पाठ कहां हो रहा है तो महाराजजी ने कोई जवाब नहीं दिया. जब भक्त महाराजजी के साथ चर्चलेन पहुंचे तब उन्हें पता चला कि रामायण का पाठ इलाहाबाद में एक भक्त के घर पर चल रहा था.

#महाराजजीकथामृत

(रवि प्रकाश पांडे 'राजीदा', द डिवाइन रियलिटी, 2005, दूसरा संस्करण, पेज- 180-181)
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🌺जय जय नींब करौरी बाबा!! 🌺
🌺कृपा करहु आवई सद्भावा!! 🌺
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