गंगोत्री से ऋषिकेश लौटते वक्त रात के आठ बज गया तो बाबाजी धराली नामक एक जगह पर रुके. बाबाजी के साथ जितने भक्त थे उनमें से अधिकांश धर्मशाला में रुके. उमादत्त शुक्ला चाय की एक दुकान में ठहरे जबकि बाबा जी उसी चाय की दुकान के पीछे एक टिम्बर हाउस में रुके. सुबह जब गिरीश बाबाजी के दर्शन के लिए गये तो देखा कि बाबाजी के कंबल पर ठीक सीने के ऊपर एक सांप और बिच्छू लड़ रहे हैं. वे भयवश चिल्ला पड़े लेकिन जैसे ही बाबाजी की नींद खुली सांप और बिच्छू दोनों गायब हो गये.
#महाराजजीकथामृत
(रविप्रकाश पांडे राजीदा, द डिवाइन रियलिटी (दूसरा संस्करण), 2005, पेज- 249)
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🌺 जय जय नींब करौरी बाबा! 🌺
🌺 कृपा करहु आवई सद्भावा!! 🌺
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