महाराजजी के एक भक्त के मन में संशय था कि एक ही वक्त में महाराज जी अलग अलग जगहों पर कैसे हो सकते हैं? महाराज जी ने उनसे तीन बार कहा, जाओ जरा उन कमरों को देखकर आओ कि वहां क्या चल रहा है. आखिरकार वह भक्त वहां से उठकर कमरों की तरफ चला गया. वह हर कमरे में जाता तो महाराज जी को पाता. छह कमरे थे और सबमें से महाराजजी बाहर निकलते दिखाई दे रहे थे.
#महाराजजीकथामृत
(रामदास, मिराकल आफ लव, पेज- 170)
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🌺 जय जय नींब करौरी बाबा! 🌺
🌺 कृपा करहु आवई सद्भावा!! 🌺
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