Saturday, November 7, 2015

छूटे प्राण वापस आ गये

करीब ४० वर्ष पूर्व मेरी पत्नी बहुत बीमार हो गयी ! बचने की कोई उम्मीद नही थी ! मेरे पास एक ही रास्ता था , बाबा का निरन्तर स्मरण! जब पता चला बाबा जी बरेली डाक्टर भण्डारी के घर आये है तो वहाँ भागा पर बाबा वहाँ न मिले। आठ बजे रात पेड़ के नीचे बैठा बाबा को याद करता रहा! तब एक व्यक्ति से पता चला कि बाबा जी कमिश्नर लाल साहेब के घर पर हैं। मै वहाँ पहँचा परन्तु चपरासी ने भीतर नही जाने दिया। मैं बाहर ही महाराजजी को दीनता से अंतरमन में पुकारता रहा और तभी बाबा जी बाहर निकल आये मेरी आर्त पुकार सुनकर और कहा, "रिक्शा ला तेरे घर चलते है!"

लाल साहब की गाडी पर बाबा नही बैठे ! रिक्शे से हम घर आ गये ! बाबा सीधे मेरी पत्नी के कमरे में पहुंचे और उनके पलंग के पास ही कुर्सी पर बैठ गये ! तभी उन्होने अपने चरण उठाकर पलंग पर रख दिये। पत्नी ने प्रयास करके किसी तरह अपना सिर बाबा के चरणों पर रख दिया, इसके साथ ही उनकी रही सही नब्ज भी छूट गयी। सब हाहाकार करके रो उठे पर बाबा जी चिल्ला कर बोले, "नहीं, मरी नही है, आन्नद में है !" और ऐसा कहकर पत्नी के गाल पर चपत मारी और उसकी नब्ज वापिस आ गई। तब रात १०.३० बजे बाबा ने हिमालया कम्बल माँगा। कम्बल आ गया, जिसे बाबा जी ने खुद ओढ लिया और अपना ओढा कम्बल पत्नी पर डाल कर चले गये।

बाबा दूसरे दिन फिर आये और पत्नी की नब्ज उनके चरण छूते फिर छूट गयी! तब बाबा बोले "माई हमे बहुत परेशान करती है! हमें बैठना पड़ जाता है !" और इसके बाद पत्नी बिना इलाज के पूर्णता: स्वस्थ हो गई!

(प्यारेलाल गुप्ता -- बरेली)

जय गुरूदेव
अनंत कथामृत

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