अल्मोड़ा में एक दिन दिवाकर पंत बहुत बुरी तरह बीमार हो गये। आधी रात होते होते उनकी हालत बहुत नाजुक हो गयी। पहाड़ में इतनी रात किसी डॉक्टर को बुलाना भी संभव नहीं था। सब सुबह होने का इंतजार कर रहे थे। उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उनकी पत्नी रोते रोते बदहवास होकर गिर पड़ीं।
तभी उन्होंने महसूस किया जैसे महाराज जी उनका कंधा पकड़कर हिला रहे हैं और एक दवा की तरफ इशारा करते हुए कह रहे हैं कि "यह दवा दे दो। वह ठीक हो जाएगा। "
उन्हें यह सोचने का भी होश नहीं था कि अचानक बाबाजी कब आ गये? कमरे में उनके अलावा किसी और ने बाबाजी को देखा भी नहीं। वे उठीं और बाबाजी ने जिस दवा की तरफ इशारा किया था वह दवा पिला दी। दवा देते ही दिवाकर पंत के व्यवहार में अजीब सा बदलाव आ गया। वे हिंसक हो गये और अनाप शनाप बकने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे उनके दिमाग का संतुलन बिगड़ गया है। सब उनकी पत्नी के व्यवहार को कोस रहे थे कि बिना जाने समझे उसने कौन सी दवा दे दी। खुद उनकी पत्नी को भी पता नहीं था कि उन्होंने कौन सी दवा दे दी है। उन्हें न दवा का नाम पता था और न डोज।
खैर, अगली सुबह डॉ खजानचंद आये। रोगी की जांच करने के बाद उन्होंने वह सब वाकया बड़े धैर्य से सुना जो रात में घटित हुआ था। उन्होंने कोरोमाइन नामक दवा की वह शीशी भी देखी जिसमें से रात में रोगी को उनकी पत्नी ने दवा पिलाई थी। सब सुनने के बाद उन्होंने दिवाकर पंत की पत्नी से पूछा, बेटी तुमने यह दवा क्यों दी?
मारे शर्म और अपराधबोध के वो कोई जवाब न दे सकीं। बस बुरी तरह रोये जा रही थीं। तब डॉक्टर ने उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा कि "यह दवा देकर तुमने अपने पति की जान बचा ली। उस वक्त सिर्फ यही एक दवा थी जो रोगी को दी जा सकती थी।" डॉक्टर ने कहा, अब वे ठीक हो जाएंगे। घबराने की कोई बात नहीं है।
#महाराजजीकथामृत
(रवि प्रकाश पांडे (राजीदा), द डिवाइन रियलिटी, दूसरा संस्करण, (१९९५), पेज- १०७/१०८)
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🌺 जय जय नींब करौरी बाबा। 🌺
🌺 कृपा करहु आवई सद्भावा।। 🌺
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जय बाबा श्री निब करोरी के श्री चरणोँ मे शत शत नमन हे.....💐
ReplyDeleteजय गुरु देव 🙏
Sab pe kripa karna prabhu
ReplyDeleteजय जय नीम करौरी बाबा
ReplyDeleteकृपा करहु आवई सद्भावा।
Jai baba ji
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