Tuesday, June 30, 2015

खिड़की से दर्शन


कैंची आश्रम में वे एक बहुत सामान्य से कमरे में रहते थे जिसे आफिस कहा जाता था. कमरे में एक खिड़की थी जिसके पल्ले अंदर की तरफ खुलते थे. वे बैठे बैठे कभी कभी खिड़की के पल्ले खोलकर दर्शन देते थे. कई बार कमरे में इस तरह उछलते कूदते थे या अपना चेहरा खिड़की के ग्रिल पर इस तरह लगा देते थे जैसे कोई बंदर पिजड़े में कैद है. कई बार उनके दर्शन के लिए खिड़की के करीब कोई आता तो वे उसे डांटकर खिड़की बंद कर देते थे.

(रामदास, मिराकल आफ लव, (1979) पेज 116
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जय जय नींब करौरी बाबा!
कृपा करहु आवई सद्भावा!!
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