एक बार इलाके के एक बुजुर्ग की दोनों आंखें चली गयी। उस वक्त वे बुजुर्ग महाराजजी के पास ही रह रहे थे। लोगों ने जब महाराजजी से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि "समर्थ गुरू रामदास ने अपनी मां के अंधेपन का इलाज किया था। दुनिया में ऐसा दूसरा संत नहीं है।" यह कहकर महाराजजी ने एक अनार मंगवाया और उसको मसलकर उसका जूस पी गये और उन्होंने अपने कंबल को अपने ऊपर ओढ़ लिया। उनकी आंखों से खून निकल रहा था। इसके बाद महाराजजी ने उस व्यक्ति से कहा कि तुम्हारी दृष्टि वापस आ जाए तो अपने व्यापार से रिटायर हो जाना और अपनी आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में आगे बढ़ना।
अगले दिन डॉक्टर आये और जब उन बुजुर्ग की आंखों का परीक्षण किया तो चौंक गये। उन्होंने कहा कि यह असंभव है। किसने किया यह? लोगों ने बताया महाराजजी ने। डॉक्टर ने पूछा कि वे अब कहां हैं तो लोगों ने बताया कि वे तो जा चुके हैं। डॉक्टर भागते हुए स्टेशन पहुंचे। महाराजजी ट्रेन में सवार हो चुके थे। डॉक्टर दौड़कर बोगी में पहुंच गये। डॉक्टर को देखते ही महाराजजी ने कहा, देखो ये कितने काबिल डॉक्टर हैं। इन्होंने उस बुजुर्ग व्यक्ति की आंख ठीक कर दी। ये बहुत अच्छे डॉक्टर हैं।
हालांकि तीन चार महीने बाद ही वे बुजुर्ग अपने आपको रोक नहीं पाये और काम पर वापस लौट गये। उसी दिन उनके आंखों की रोशनी फिर से चली गयी।
#महाराजजीकथामृत
(रामदास, मिराकल आफ लव, पहला संस्करण, 1979, पेज- 318)
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🌺 जय जय नींब करौरी बाबा! 🌺
🌺 कृपा करहु आवई सद्भावा!! 🌺
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