Friday, July 24, 2015

अदृश्य होकर पहुंच गये

उस वक्त बाबाजी के साथ बहुत सारे अन्य भक्त भी बद्रीनाथ तीर्थाटन पर गये थे. तब यात्रा और भी कष्टकारी रहती थी क्योंकि बसें पीपलकोटी तक ही जाती थीं.

तुलाराम शाह, हब्बा और परिवार, गिरीश और उमादत्त शुक्ला उनके साथ थे. काली कमलीवाले धर्मशाला के प्रबंधक श्रीमान नौटियाल को पहुंचने की सूचना पहले ही दे दी गयी थी. नौटियाल जी ने देवदर्शन में बाबाजी का स्वागत रखा था. बड़ी संख्या में लोग भी बाबा का स्वागत दर्शन के लिए पहुंचे थे. डंडी पर सवार बाबाजी भक्तों संग वहां पहुंचे और भीड़ के बीच से गुजरकर धर्मशाला पहुंच गये लेकिन वे और भक्त किसी को दिखाई नहीं दिये.

धर्मशाला पहुंचकर उन्होंने सबको वहां रुकने के लिए कहकर खुद बद्रीवन स्थित गौशाला में निकास करने चले गये. यह सूचना जब नौटियाल जी को मिली तो वे दर्शन के लिए गौशाला आये. नौटियाल जी यह देख सुनकर हैरान थे कि भक्तों सहित बाबाजी यहां पहुंच गये और किसी को दिखाई नहीं दिया, यह कैसे हो सकता है. इतनी छोटी जगह पर ऐसा होना तो नामुमकिन ही है.

बाबाजी उनकी हैरानी पर मुस्कुरा दिये.

(रवि प्रकाश पांडे 'राजीदा', द डिवाइन रियलिटी. दूसरा संस्करण, 2005, पेज- 107)

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🌺 जय जय नींब करौरी बाबा! 🌺
🌺 कृपा करहु आवई सद्भावा! 🌺
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